Wednesday, November 10, 2010

कभी कुछ कह ना पाई मै

थी दिल पर बंदिशें इतनी ,कभी कुछ कह ना पाई मै
एक मातम सा चेहरे पर ,कभी ना मुस्कराई मै
यहाँ मौसम है खुलकर खूब ,चिड़ियों सा चहकने का
बहुत कुछ सोचकर इस नयी ,दुनिया में आई मै

3 comments:

  1. जाट पहेली- 24 का सही जवाब
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/24.html
    _______________________________________
    ताऊ पहेली - 100 का सही जवाब
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/100.html
    _______________________________________
    भारत प्रशन मंच - १९ का सही जवाब
    http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_13.html

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा कहा है आपने ... यहाँ आप खुल कर चेहचाहा सकतीं हैं ... और हमें भी अपनी चेहचाहट सुना सकतीं हैं ... शुरुआत बहुत खूबसूरत है ... आगे भी आपकी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा ....

    ReplyDelete